Vastu: How to Remove Negative Energy from Amla : आंवले से घर के वास्तु दोष दूर करें
प्राचीन काल से ही हमारे ऋषि मुनियों ने आवला को औषधीय रूप में प्रयोग
किया परन्तु आंवले का धार्मिक रूप से भी महत्वपूर्ण माना जाता है। जो निम्न
प्रकार से है-
1- यदि कोई आंवले का एक वृक्ष लगाता है तो उस व्यक्ति को एक राजसूय यज्ञ के बराबर फल मिलता है।
2- यदि कोई महिला शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर पूजन करती है तो वह जीवन पर्यन्त सौभाग्यशाली बनी रहती है।
3-
अक्षय नवमी के दिन जो भी व्यक्ति आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर भोजन करता
है, उसकी प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है एंव दीर्घायु लाभ मिलता है।
4-
आंवले के वृक्ष के नीचे ब्राहमणों को मीठा भोजन कराकर दान दिया जाय तो उस
जातक की अनेक समस्यायें दूर होती तथा कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
आंवले का ग्रहों से सम्बन्ध
आंवले
का ज्योतिष में बुध ग्रह की पीड़ा शान्ति कराने के लिये एक स्नान कराया
जाता है। जिस व्यक्ति का बुध ग्रह पीडि़त हो उसे शुक्ल पक्ष के प्रथम
बुधवार को स्नान जल में- आंवला, शहद, गोरोचन, स्वर्ण, हरड़, बहेड़ा, गोमय
एंव अक्षत डालकर निरन्तर 15 बुधवार तक स्नान करना चाहिए जिससे उस जातक का
बुध ग्रह शुभ फल देने लगता है। इन सभी चीजों को एक कपड़े में बांधकर पोटली
बना लें। उपरोक्त सामग्री की मात्रा दो-दो चम्मच पर्याप्त है। पोटली को
स्नान करने वाले जल में 10 मिनट के लिये रखें। एक पोटली 7 दिनों तक प्रयोग
कर सकते है।
जिन जातकों का शुक्र ग्रह पीडि़त होकर उन्हे
अशुभ फल दे रहा है। वे लोग शुक्र के अशुभ फल से बचाव हेतु शुक्ल पक्ष के
प्रथम शुक्रवार को हरड़, इलायची, बहेड़ा, आंवला, केसर, मेनसिल और एक सफेद
फूल युक्त जल से स्नान करें तो लाभ मिलेगा। इन सभी पदार्थों को एक कपड़े
में बाधकर पोटली बना लें। उपरोक्त सामग्री की मात्रा दो-दो चम्मच पर्याप्त
रहेगी। पोटली को स्नान के जल में 10 मिनट के लिये रखें। एक पोटली को एक
सप्ताह तक प्रयोग में ला सकते है।
आंवला और वास्तु
आंवले
का वृक्ष घर में लगाना वास्तु की दृष्टि से शुभ माना जाता है। पूर्व की
दिशा में बड़े वृक्षों को नहीं लगाना चाहिए परन्तु आंवले को इस दिशा में
लगाने से सकारात्मक उर्जा का प्रवाह होता है।
इस वृक्ष को घर
की उत्तर दिशा में भी लगाया जा सकता है। जिन बच्चों का पढ़ाई में मन नहीं
लगता है या फिर स्मरण शक्ति कमजोर है, उनकी पढ़ने वाली पुस्तकों में आंवले व
इमली की हरी पत्तियों को पीले कपड़े में बांधकर रख दें।
आंवला और रोग
पीलिया
रोग में एक चम्मच आंवले के पाउडर में दो चम्मच शहद मिलाकर दिन में दो बार
सेंवन करने से लाभ मिलता है। जिन लागों की नेत्र ज्योति कम है वे लोग एक
चम्मच आंवले के चूर्ण में दो चम्मच शहद अथवा शुद्ध देशी घी मिलाकर दिन में
दो बार सेंवन करने से नेत्र ज्योति में बढ़ती है एंव इन्द्रियों को शक्ति
प्रदान होती है।
गठिया रोग वाले जातक 20 ग्राम आंवले का
चूर्ण तथा 25 ग्राम गुड़ लेकर 500 मिलीलीटर जल में डालकर पकायें। जब जल आधा
रह जाये तब इसे छानकर ठण्डा कर लें। इस काढ़े को दिन में दो बार सेंवन
करें। जबतक सेंवन करें तबतक नमक का सेंवन बन्द कर दें अथवा बहुत कम कर दें।