ऐसी भाग्य रेखा बना देती है सफल और महान, देखिए क्या आपकी हथेली में है
यश दिलाती है- सूर्य रेखा
अनामिका अंगुली के नीचे सूर्य पर्वत पर
चाहें किसी भी जगह से कोई रेखा प्रारंभ हो, वह सूय रेखा कहलाएगी। सूर्य
रेखा मान-प्रतिष्ठा एवं यश प्रकट करती है। यह रेखा धन की परिचायक नहीं है।
सूर्य रेखा वाले व्यक्ति दूसरों को आकर्षित करने का गुण रखते हैं। ये आसानी
से अपना नाम, पहचान व पुरस्कार पा सकते हैं।
- सूर्य पर्वत बैठा हुआ हो, उस पर कटी-फटी सूर्य रेखा हो, तो जातक बदमिजाज, दिखावा करने वाला तथा झगड़ालू होता है।
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भाग्य रेखा चंद्र पर्वत से निकलकर शनि क्षेत्र पर जाए, अच्छी सूर्य रेखा व
सूर्य पर्वत हो तो व्यक्ति राजनीति में सफलता प्राप्त करता है।
- जीवन रेखा से उदित सूर्य रेखा के साथ मंगल रेखा भी हो तो व्यक्ति धनी होता है। भूमि संबंधी कार्योü से वह धन कमाता है।
- सूर्य रेखा मंगल से निकल कर सूर्य पर्वत पर जाती हो, तो यह संघर्ष के पश्चात उन्नति के लक्षण हैं। इनके घर में प्राय: कलह रहती है।
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यदि सूर्य रेखा मणिबंध या उसके समीप से आरंभ होकर भाग्य रेखा के निकट
समानांतर अपने स्थान को जा रही हो, ऎसी रेखा वाला पूर्णतया सफल रहता है।
- यदि सूर्य रेखा मस्तक रेखा से आरंभ हो, तो यह जीवन के मघ्य काल तक अपनी बुद्धि से उन्नति करने का सूचक है।
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यदि सूर्यü रेखा सूर्य क्षेत्र की ओर नहीं जाकर शनि क्षेत्र की ओर जा ही
हो, तो ऎसे व्यक्ति धनवान और उन्नतिशील होकर भी प्राय: सुखी नहीं रहते हैं।
- ह्दय रेखा से प्रारंभ होने वाली सूर्य रेखा व्यक्ति को जीवन के उत्तरकाल में उन्नति दिलाती है।
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जीवन रेखा से आरंभ होने वाली स्पष्ट सूर्य रेखा भविष्य में उन्नति व यश
बढ़ाने वाली होती है। यह उन्नति व्यक्ति योग्यता एवं परिश्रम से मिलती है।
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अनामिका व मघ्यमा अंगुली बराबर हों, साथ में सूर्य रेखा स्पष्ट लंबी,
गहरी, पतली हो, तो ऎसे व्यक्ति जुए और सट्टा में सफल होते हैं।
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सूर्य रेखा सूर्य पर्वत पर बिल्कुल नहीं हो, तो निराश होने की आवश्यकता
नहीं है। सूर्य रेखा बहुत जल्दी बनती व बिगड़ती देखी गई है। सूर्य आराधना व
निम्न उपायों से बहुत जल्दी ही सुधार हो जाता है।
- आदित्य ह्दय स्त्रोत के तीन पाठ रोज करें।
- कम से कम सवा चार रत्ती का माणिक्य अनामिका अंगुली में शुभ मुहूर्त में पहनें।
- बिल्व पत्र की जड़ गुलाबी धागे में रविवार को धारण करने से सूर्य के अनिष्ठ शांत होते हैं।