A2zvashikaranmantra World Famous Vashikaran Mantra Expert india 2019: vastu shastra

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Monday, September 10, 2018

वास्तु शास्त्र के अनुसार पूजा घर कैसा होना चाहिए || vastu shastra ke anusar puja ghar kainsa ho

September 10, 2018
वास्तु शास्त्र के अनुसार पूजा घर कैसा होना चाहिए || vastu shastra ke anusar puja ghar kainsa ho


सभी प्राणियों के जीवन में वास्तु का बहुत महत्व होता है। तथा जाने व अनजाने में वास्तु की उपयोगिता का प्रयोग भलीभांति करके अपने जीवन को सुगम बनाने का प्रयास करते रहतें है। प्रकृति द्वारा सभी प्राणियों को भिन्न-भिन्‍न रूपों में ऊर्जायें प्राप्त होती रहती है। इनमें कुछ प्राणियों के जीवन चक्र के अनुकूल होती है तथा कुछ पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है। अतः सभी प्राणी इस बात का प्रयास करते रहते है कि अनुकूल ऊर्जाओं का अधिक से अधिक लाभ लें तथा प्रतिकूल ऊर्जा से बचें।

उदाहरण के लिये- सूर्य की ऊष्मा ग्रीष्म ऋतु में प्रतिकूल तथा शीत ऋतु में सुखद अनुभव देती है। जिसके कारण ग्रीष्म ऋतु में हम अधिक से अधिक सूर्य की ऊष्मा के सीधे प्रभाव से बचने का प्रयास करते रहते है। जबकि शीतकाल में उसी सीधी ऊष्मा को ग्रहण काने का प्रयास करते है। इसके लिये हम अपने निवास स्थान आदि में उसी के अनुरूप भवन निर्माण करते है। प्रकृति द्वारा उपलब्ध ऊर्जायें मुख्य रूप से दो प्रकार के प्रभाव डालती है। 1- सकारात्मक उर्जा, 2- नकारात्मक ऊर्जा । ये दोंनों प्रकार की ऊर्जायें हमें सुख व दुःख की अनुभूति कराती है।

कैसा हो आपका पूजन कक्ष-

1- पूजा गृह भवन में ईशान कोण (पूर्व-उत्तर) अथवा उसके समीप उत्तर या पूर्व दिशा में बनायें।
2- पूजा कक्ष शयन कक्ष अथवा रसोई घर में न बनायें।
3- पूजा गृह की दीवारों व फर्श का रंग हल्का सफेद, पीला या हल्का नीला होना चाहिये।
4- पूजन गृह में हवन कुण्ड आग्नेय कोण, (पूर्व-दक्षिण) में होना चाहिये।
5- पूजा करते समय मुख ईशान कोण, पूर्व या उत्तर की ओर होना चाहिये।
6- पूजा घर में युद्ध के चित्र या पशु-पक्षी के चित्र लगाना वास्तु के अनुसार उचित नहीं है।
7- पूजा गृह में कोई भी मूर्ति 4 इन्च से अधिक लम्बी न हो तथा मूर्तियां ठीक दरवाजे के सामने नहीं होनी चाहिये।
8- घर में झाड़ू व कूड़ेदान आदि भवन के ईशान कोण एंव पूजा गृह के निकट नहीं हेना चाहिये।
9- पूजा घर की सफाई हेतु झाड़ू व पोछा अलग होना चाहिये।
10- हनुमान जी की मूर्ति नैऋत्य कोण (दक्षिण-पश्चिम) में स्थापित करें।

Vastu effect of amala in house : घर के वास्‍तु में आंवले का महत्‍व | नहीं होती है धन की कमी घर में आंवले का पेड़ लगाने से |

September 10, 2018
Vastu effect of amala in house : घर के वास्‍तु में आंवले का महत्‍व | नहीं होती है धन की कमी घर में आंवले का पेड़ लगाने से  |

Vastu: How to Remove Negative Energy from Amla : आंवले से घर के वास्तु दोष दूर करें 

 

प्राचीन काल से ही हमारे ऋषि मुनियों ने आवला को औषधीय रूप में प्रयोग किया परन्तु आंवले का धार्मिक रूप से भी महत्वपूर्ण माना जाता है। जो निम्न प्रकार से है-

1- यदि कोई आंवले का एक वृक्ष लगाता है तो उस व्यक्ति को एक राजसूय यज्ञ के बराबर फल मिलता है।
2- यदि कोई महिला शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर पूजन करती है तो वह जीवन पर्यन्त सौभाग्यशाली बनी रहती है।
3- अक्षय नवमी के दिन जो भी व्यक्ति आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर भोजन करता है, उसकी प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है एंव दीर्घायु लाभ मिलता है।
4- आंवले के वृक्ष के नीचे ब्राहमणों को मीठा भोजन कराकर दान दिया जाय तो उस जातक की अनेक समस्यायें दूर होती तथा कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।

आंवले का ग्रहों से सम्बन्ध

आंवले का ज्योतिष में बुध ग्रह की पीड़ा शान्ति कराने के लिये एक स्नान कराया जाता है। जिस व्यक्ति का बुध ग्रह पीडि़त हो उसे शुक्ल पक्ष के प्रथम बुधवार को स्नान जल में- आंवला, शहद, गोरोचन, स्वर्ण, हरड़, बहेड़ा, गोमय एंव अक्षत डालकर निरन्तर 15 बुधवार तक स्नान करना चाहिए जिससे उस जातक का बुध ग्रह शुभ फल देने लगता है। इन सभी चीजों को एक कपड़े में बांधकर पोटली बना लें। उपरोक्त सामग्री की मात्रा दो-दो चम्मच पर्याप्त है। पोटली को स्नान करने वाले जल में 10 मिनट के लिये रखें। एक पोटली 7 दिनों तक प्रयोग कर सकते है।

जिन जातकों का शुक्र ग्रह पीडि़त होकर उन्हे अशुभ फल दे रहा है। वे लोग शुक्र के अशुभ फल से बचाव हेतु शुक्ल पक्ष के प्रथम शुक्रवार को हरड़, इलायची, बहेड़ा, आंवला, केसर, मेनसिल और एक सफेद फूल युक्त जल से स्नान करें तो लाभ मिलेगा। इन सभी पदार्थों को एक कपड़े में बाधकर पोटली बना लें। उपरोक्त सामग्री की मात्रा दो-दो चम्मच पर्याप्त रहेगी। पोटली को स्नान के जल में 10 मिनट के लिये रखें। एक पोटली को एक सप्ताह तक प्रयोग में ला सकते है। 

आंवला और वास्तु

आंवले का वृक्ष घर में लगाना वास्तु की दृष्टि से शुभ माना जाता है। पूर्व की दिशा में बड़े वृक्षों को नहीं लगाना चाहिए परन्तु आंवले को इस दिशा में लगाने से सकारात्मक उर्जा का प्रवाह होता है।

इस वृक्ष को घर की उत्तर दिशा में भी लगाया जा सकता है। जिन बच्चों का पढ़ाई में मन नहीं लगता है या फिर स्मरण शक्ति कमजोर है, उनकी पढ़ने वाली पुस्तकों में आंवले व इमली की हरी पत्तियों को पीले कपड़े में बांधकर रख दें।

आंवला और रोग

पीलिया रोग में एक चम्मच आंवले के पाउडर में दो चम्मच शहद मिलाकर दिन में दो बार सेंवन करने से लाभ मिलता है। जिन लागों की नेत्र ज्योति कम है वे लोग एक चम्मच आंवले के चूर्ण में दो चम्मच शहद अथवा शुद्ध देशी घी मिलाकर दिन में दो बार सेंवन करने से नेत्र ज्योति में बढ़ती है एंव इन्द्रियों को शक्ति प्रदान होती है।

गठिया रोग वाले जातक 20 ग्राम आंवले का चूर्ण तथा 25 ग्राम गुड़ लेकर 500 मिलीलीटर जल में डालकर पकायें। जब जल आधा रह जाये तब इसे छानकर ठण्डा कर लें। इस काढ़े को दिन में दो बार सेंवन करें। जबतक सेंवन करें तबतक नमक का सेंवन बन्द कर दें अथवा बहुत कम कर दें।

मकान बनवाते वक्‍त वास्‍तु नियम क्‍यों जरूरी? Vastu Shastra

September 10, 2018
मकान बनवाते वक्‍त वास्‍तु नियम क्‍यों जरूरी? Vastu Shastra


मानव शरीर और ब्रम्हाण्ड पंचतत्वों से बना हुआ है, भवन भी पांच तत्वों का ही सम्मिश्रित स्वरूप है। ब्रम्हाण्ड, मानव शरीर, एंव भवन इन तीनों में स्थित पांच तत्वों का सामंजस्य स्थापित करके खुशहाल जीवन व्यतीत किया जा सकता है।

सूर्यः पूर्व दिशा के स्वामी एंव अग्नि तत्व के कारक है। ये पिता के भी कारक माने जाते हैं। कुदरती कुण्डली में सिंह राशि पंचम भाव का प्रतिनिधित्व करती है, इस कारण हाजमे पर विशेष प्रभाव पड़ता है। भवन में पूर्व की दिशा का ऊंचा होना या वहां पर दो छत्ती का निर्माण होने से महिलाओं को हड्डी रोग तथा सरकारी कर्मचारियों को आये दिन दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। स्वास्थ्य और सम्मानित जीवन जीने के लिये भवन पर इसका शुभ प्रभाव पड़ना जरूरी है।

चन्द्रः यह जल तत्व का कारक तथा भवन में इनका ईशान कोण (पूर्व-उत्तर), पर विशेष प्रभाव रहता है। सन्तुलित विचार धारा व शुभता बनायें रखनें में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। यह माता का भी प्रतिनिधित्व करते है। इनका कार्य मुख्य रूप से जल संग्रह का है। इनके सन्तुलित होने से जातक को भौतिक वस्तुओं की प्राप्ति आसानी से होती है तथा मन की चंचलता खत्म होती है। भवन के ईशान कोण में इनकों स्थापित करना शुभ माना जाता है।

मंगलः यह अग्नि तत्व के कारक है तथा भवन में दक्षिण दिशा पर इनका विशेष प्रभाव रसोई घर के रूप में होता है, इस कारण रसोई घर के नजदीक, पूजाघर, शौचालय, बाथरूम तथा स्टोर रूम इन तीनों का एक साथ होना किसी बड़े खतरे की सूचना देता है। यह स्थान दूषित होने पर घर के मुखिया को हार्ट अटैक होने की आशंका रहती है। फोर्स व मीडिया से जुड़े लोगो को आये दिन समस्याओं से जूझना पड़ता है। आग्नेय कोण (पूर्व-दक्षिण) में रसोई घर स्थापित करने से मंगल का अमंगलकारी प्रभाव नही पड़ता है। 

बुधः यह ग्रह पृथ्वी तत्व का द्योतक है, तथा उत्तर दिशा जो सकारात्मक उर्जा का प्रवाह करती है, इस पर इनका विशेष प्रभाव रहता है। युवा तथा गणितज्ञ होने के कारण इनका छात्रों की शिक्षा एंव बैठक रूम में अधिकार क्षेत्र है, इसलिये इन्हे भी शौचालय, रसोई घर, कबाड़ घर आदि से दूर रखना चाहिये अन्यथा बच्चों की शिक्षा में बाधा एंव परिवार में कलह बनी रहती है।

गुरु: ये आकाश तत्व के कारक है तथा ईशान कोण का प्रतिनिधित्व करते है। भवन की जिस दिशा में पूजन गृह बनेगा वह स्थान इनका अधिकार क्षेत्र हो जायेगा। अतः पूजन गृह ईशान कोण में ही स्थापित करें। यह स्थान दूषित होने से- बुर्जुगों से मतभेद, ससुराल पक्ष से तनाव, आर्थिक तंगी, तथा परिवार के सदस्यों के बीच मतभेद बना रहेगा।

शुक्रः ये चुम्बकत्व आकर्षण का प्रतीक है, तथा आग्नेय कोण (पूर्व-दक्षिण) के स्वामी है। शुक्र ग्रह आसुरों के देवता है, इनका सौन्दर्य तथा भोग विलास की वस्तुओं पर निवास स्थल है। इस स्थान के दूषित होने से शैया सुख में कमी, विदेश यात्रा में बाधायें, महिलाओं के स्वास्थ्य पर धन अधिक व्यय एंव सामाजिक प्रतिष्ठा में कमी आयेगी।

शनिः ये वायु तत्व के कारक है, तथा पश्चिम दिशा पर इनका विशेष प्रभाव रहता है। ये न्याय एंव अनुशासन प्रिय है जिस परिवार में अन्याय, अनुशासन, गंदगी, मदिरा का सेवन, झूठ आदि होगा वहां के सदस्यों को आये दिन कष्ट बना रहेगा। घर की जिस दिशा में बेसमेन्ट, कूड़ा, अंधेरा, कबाड़ आदि होगा उस स्थान पर इनका स्थाई निवास स्थान माना गया है। पश्चिम दिशा के दूषित होने से- स्थान परिवर्तन, यात्रा में दुर्घटना, दाम्पत्य सुख में कमी, नौकरों का भाग जाना, घर में चोरी जैसी समस्यायें बनी रहेगी।

राहु एंव केतुः ये दोनो ग्रह नैऋत्य कोण (दक्षिण-पश्चिम) दिशा के कारक होते है। सीढि़यों पर तथा लम्बी गलियों में इनका विशेष प्रभाव रहता है। ये एनर्जी कारक ग्रह है, कुदरती कुण्डली में अष्टम भाव में वृश्चिक राशि पर विशेष प्रभाव रहता है। इस स्थान के दूषित होने से- दुर्घटना, आत्महत्या, पाइल्स रोग, खून की कमी तथा महिलाओं को गर्भपात की समस्या रहती है। 

भवन का निर्माण करते समय इन सभी ग्रहों को सही दिशा में स्थापित करके सकारात्मक उर्जा को प्राप्त किया जा सकता है।

बेडरूम में अपनाएं ये वास्तु टिप्स, दांपत्य जीवन में बना रहेगा प्यार :Vastu tips for bedroom in Hindi

September 10, 2018
बेडरूम में अपनाएं ये वास्तु टिप्स, दांपत्य जीवन में बना रहेगा प्यार :Vastu tips for bedroom in Hindi

बेडरूम बढ़ाए दाम्पत्य सुख

 



वास्तु शास्त्रियों का मानना है कि वास्तु में न सिर्फ सुख-समृद्धि के अपितु सुखद दाम्पत्य के सूत्र भी छिपे हैं। दाम्पत्य जीवन में बेडरूम काफी खास होता है। यदि बेडरूम में नीचे लिखे वास्तु नियमों का पालन किया जाए तो दाम्पत्य जीवन कहीं अधिक सुखमय हो सकता है।

1-यदि आप दाम्पत्य जीवन में खुशी चाहते हैं तो इस बात का विशेष ध्यान रखें कि बेडरूम शांत, ठंड़ा, हवादार व बिना दबाव वाला होना चाहिए। बेडरूम में बेकार सामान नहीं होना चाहिए।

2-बेडरूम में निजता कायम रहे। इसके लिए ध्यान रखें कि बेडरूम की खिड़की दूसरे कमरे में न खुले। शयन कक्ष की आवाज बाहर नहीं आना चाहिए। इससे दाम्पत्य जीवन में मिठास बढ़ती है।

3-शयन कक्ष में पेंट हल्का व अच्छा हो। दीवारों पर चित्र कम हों, चित्र मोहक होना चाहिए।

4-बेडरूम में पलंग आवाज करने वाला न हो तथा सही दिशा में रखा हो। सोते समय सिर दक्षिण की ओर होना चाहिए। आरामदायक व भरपूर नींद से दाम्पत्य जीवन अधिक सुखद बनता है।

5-बाथरूम बेडरूम से लगा हुआ होना चाहिए। बाथरूम का दरवाजा बेडरूम में खुलता हो तो उसे बंद रखना चाहिए। उस पर परदा भी डाल सकते हैं।

6-बेडरूम में पेयजल की सुविधा होना चाहिए ताकि रात को उठकर बाहर न जाना पड़े।

7- बेडरूम में प्रकाश की उचित व्यवस्था होना चाहिए। सोते समय जीरो वॉट का बल्ब जलाना चाहिए। रोशनी सीधी पलंग पर नहीं पडऩी चाहिए।
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Vastu Shastra Sciance : वास्तु शास्त्र के अनुसार ये तीन सिक्के लाते है घर मे पैसा

September 10, 2018
Vastu Shastra Sciance : वास्तु शास्त्र के अनुसार ये तीन सिक्के लाते है घर मे पैसा

समृद्धि लेकर आते हैं तीन सिक्के 

 

फेंगशुई का चलन दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है इसका प्रमुख कारण है कि इसके आसान टिप्स। यह टिप्स इतने सरल होते हैं जो आसानी से किए जा सकते हैं।

इन्हीं में से कुछ प्रमुख फेंगशुई टिप्स नीचे दिए गए हैं-

1- फेंगशुई के अनुसार घर के दरवाजे में लाल रिबन से बंधे सिक्के लटकाने से घर में धन और समृद्धि आती है। अपने घर के दरवाजे के हैंडल में सिक्के लटकाना घर में संपत्ति व सौभाग्य लाने का सर्वोत्तम मार्ग है। सिर्फ तीन सिक्के ही लगाएं और वह भी दरवाजे के अंदर की ओर। बाहर सिक्के लगाने से लक्ष्मी द्वार पर ही ठहर जाती है। आप तीन पुराने चीनी सिक्कों को लाल रंग के धागे अथवा रिबन में बांध कर अपने घर के हैंडल में लटका सकते हैं। इससे घर के सभी लोग लाभान्वित होंगे। ये सिक्के दरवाजे के अंदर की ओर लटकाने चाहिए न कि बाहर की ओर। केवल मुख्य द्वार के हैंडल में सिक्के लटकाएं।

2- यदि सोते समय शरीर का कोई अंग दर्पण में दिखाई देता है, तो उस अंग में पीड़ा होने लगती है। इस तरह सोने से बचें।

3- सोते समय सिर या पैर किसी भी दरवाजे की ठीक सीध में नहीं होने चाहिए। इससे मानसिक दबाव बनता है।

4- घर के सदस्यों की दीर्घायु के लिए स्फटिक का बना हुआ एक कछुआ घर में पूर्व दिशा में रखें।

5- मछलियों के जोड़े को घर में लटकाना बहुत शुभ एवं सौभाग्यदायक माना जाता है। इनके प्रभाव से घर में धन
 की बरकत और कार्यक्षेत्र में उन्नति होती है। इन्हें बृहस्पतिवार अथवा शुक्रवार को घर में टांगना शुभ होता है।


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झाड़ू सुबह में कब लगाएं जिससे घर में धन की वर्षा हो झाड़ू लगाने का शुभ मुहूर्त क्या है

September 10, 2018
झाड़ू सुबह में कब लगाएं जिससे घर में धन की वर्षा हो झाड़ू लगाने का शुभ मुहूर्त क्या है

 ये हैं झाड़ू का इस्‍तेमाल करने के 10 नियम...

 प्राचीन परंपराओं को मानने वाले लोग आज भी झाड़ू पर पैर लगने के बाद उसे प्रणाम करते हैं क्योंकि झाड़ू को लक्ष्मी का रूप माना जाता है। विद्वानों के अनुसार झाड़ू पर पैर लगने से महालक्ष्मी का अनादर होता है। झाड़ू घर का कचरा बाहर करती है और कचरे को दरिद्रता का प्रतीक माना जाता है। जिस घर में पूरी साफ-सफाई रहती है वहां धन, संपत्ति और सुख-शांति रहती है। इसके विपरित जहां गंदगी रहती है वहां दरिद्रता का वास होता है। ऐसे घरों में रहने वाले सभी सदस्यों को कई प्रकार की आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसी कारण घर को पूरी तरह साफ  रखने पर जोर दिया जाता है ताकि घर की दरिद्रता दूर हो सके और महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त हो सके।

घर से दरिद्रता रूपी कचरे को दूर करके झाड़ू यानि महालक्ष्मी हमें धन-धान्य, सुख-संपत्ति प्रदान करती है। जब घर में झाड़ू का कार्य न हो तब उसे ऐसे स्थान पर रखा जाता है जहां किसी की नजर न पड़े। इसके अलावा झाड़ू को अलग रखने से उस पर किसी का पैर नहीं लगेगा जिससे देवी महालक्ष्मी का निरादर नहीं होगा। यदि भुलवश झाड़ू को पैर लग जाए तो महालक्ष्मी से क्षमा की प्रार्थना कर लेना चाहिए।

ये हैं झाड़ू का इस्‍तेमाल करने के 10 नियम





  • घर में आपने अकसर ही मम्‍मी या फिर बड़े-बूढ़ों के से सुना होगा कि झाड़ू को उल्‍टा मत रखो क्योंकि यह बुरा होता है या फिर झाड़ू पर पैर मत मारो लक्ष्‍मी मां नाराज हो जाएंगी वगैरह. वास्‍तु में घर की हर चीज का बहुत महत्‍व होता है. झाड़ू से जुड़ी और भी कई बातें हैं जो आप नहीं जानते होंगे.
  • ये हैं झाड़ू का इस्‍तेमाल करने के 10 नियम...
    1.
    पौराणिक ग्रंथों में कहा गया है कि अंधेरा होने के बाद घर में झाड़ू लगाना अशुभ होता है.
  • ये हैं झाड़ू का इस्‍तेमाल करने के 10 नियम...

    2. जब परिवार का कोई सदस्य घर से बाहर जाए तो तुरंत झाड़ू लगाना भी अशुभ होता है.  उनके जाने के बाद 1 या 2 घंटे बाद ही सफाई करें.
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    3. झाड़ू पर पैर नहीं रखना चाहिए. माना जाता है कि ऐसा करने से लक्ष्‍मी मां रुष्‍ट हो जाती हैं.
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    4. कभी भी घर में उलटा झाड़ू नहीं रखना चाहिए. कहते हैं इससे घर में कलह बढ़ती है.
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    5. झाड़ू को कभी भी घर से बाहर या फिर छत पर नहीं रखना चाहिए. कहा जाता है कि ऐसा करने से घर में चोरी होने का भय उत्पन्न होता है. 
  • ये हैं झाड़ू का इस्‍तेमाल करने के 10 नियम...
    6. अगर हम झाड़ू का आदर करते हैं तो यह महालक्ष्मी की प्रसन्नता का संकेत है. 
  • ये हैं झाड़ू का इस्‍तेमाल करने के 10 नियम...
    7. झाड़ू को हमेशा ऐसी जगह पर रखना चाहिए जहां से यह घर या बाहर के किसी भी सदस्य को दिखाई नहीं दे. 
  • ये हैं झाड़ू का इस्‍तेमाल करने के 10 नियम...
    8. घर में यदि कोई छोटा बच्चा अचानक झाड़ू लगाने लगे तो कहते हैं कि इससे घर में अनचाहे मेहमान आने के योग बनते हैं. 
  • ये हैं झाड़ू का इस्‍तेमाल करने के 10 नियम...
    9. नया घर बनाने के पश्चात उसमें पुराना झाड़ू ले जाना अपशकुन माना जाता है.
  • ये हैं झाड़ू का इस्‍तेमाल करने के 10 नियम...
    10.  सपने में अगर कोई नया झाड़ू लेकर खड़ा दिखे है तो यह सौभाग्य का प्रतीक होता है. 
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    Powerful Vastu Science for Money , Wealth & Prosperity in The House

    September 10, 2018
    Powerful Vastu Science for Money , Wealth & Prosperity in The House


    In the term Vastu is a Sanskrit word which means "Bhu" or the Earth and is the underlying stratum of existence.As per a Vedic Hymn "Vastu reva Vastu", all material forms of the Universe are all energies.Vaasthu sastra states that every energy has life and nothing in universe is left out without any vibration.Every material in the Universe radiates some energy at its own specific frequencies. This energy may be positive or negative. Positive energy is beneficial and negative is harmful. Vastu shastra aims at maximising the generation and accumulation of positive energy around the humans and minimise the negative energy

    Vastu is the investigation of course that consolidates all the five components of nature and offset them with the man and the material. Vastu Shastra is making a friendly settings or a spot to live or work, in most logical way taking focal points of the advantages offered by the five components called "Paanchbhootas" of the nature in this way preparing for improved wellbeing, riches, success and joy in an illuminated situation.

    The world embodies five fundamental components, otherwise called the Paanchbhootas. They are Earth, Water, Air, Fire and Space. Out of the nine planets, our planet has life in light of the vicinity of these five components.

    The Directions

    The significance of introduction of a building is for sparing vitality as well as to have a superior house outline, which gives open to living as well as gives great wellbeing, success and riches to the house proprietors/occupiers and these families. There lies a co-connection between the rotational situation of Directionsthe planets and the house outline and their distinctive bearings with deference of NORTH. The building of any sort and its development meets the reason if legitimate introduction has been given utilizing suitable neighborhood building material. It increments its life compass as well as enhances the state of tenants. There are examples where structures are not arranged by neighborhood introduction were lost or decayed much quicker then the structures having fabricated with legitimate investigations of introduction.

    The best possible introduction implies the correct information of all the eight headings. It is a typical information that the heading from where the Sun emerges is known as East and where it sets as West and when one faces the East course, towards one's left is North and towards one's correct is South. The corner where two headings meet clearly is more critical since it joins the strengths radiating from both the bearings. SO in all there are eight headings , North, Northeast, East, Eastsouth, South, Southwest, West, Westnorth. Each course has its own particular centrality and has its own development. The fundamental standards of Vastu Shastra are in light of these eight headings.

    Components of Vastu ShastraVastu is fundamental

    Vastu frames the fundamentals of every development; one must take after Vastu from the introductory level i.e. from picking a plot to move in the house. Everything ought to be done by rule following Vastu is not simply a word but rather it is a SCIENCE and a scaffold in the middle of man and nature.

    Vastu is taken after while picking a plot, how to pick a plot: the shape, the nature of the dirt. At the point when and how to develop a house, how to do the insides, how to pick shading and when to move. Vastu is such a profound science, to the point that it is a pool of data and one can have any questions cleared with legitimate thinking.

    Vastu is extraordinary

    Vastu is a science that has begun from India. Feng shui is a craft of saddling energies. In spite of the fact that both have a same target, the advantage of humankind however the standards are altogether different. I am a strict supporter of Vastu as it is begun from India and its taking into account our way of life, customs, land conditions, climatical conditions and everything for India. What's more, fengshui is begun in China and in light of their way of life and conventions.
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